Wednesday, October 16, 2013

रूठ गए दर्शक....

जब कोई फिल्म बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित होती है,तो उससे दर्शकों की ही नहीं फिल्म विशेषज्ञों की उम्मीदें भी बंध जाती है। उस फिल्म विशेष से अच्छे कथानक और भरपूर मनोरंजन की अपेक्षा की जाती है। यदि उस फिल्म से किसी प्रतिष्ठित निर्देशक और सक्षम अभिनेता का नाम जुड़ा हो,तो यह उम्मीद और भी बढ़ जाती है। ऐसे में,उम्मीदों के बोझ तले वह फिल्म जब सिनेमाघरों में दस्तक देती है,तो शुरूआती दिनों में बड़ी मात्रा में दर्शक उसकी तरफ आकर्षित होते हैं। ...लेकिन जब फिल्म देखने के बाद दर्शकों की उम्मीदों पर पानी फिर जाता है,तो वह फिल्म निराशाजनक और असफल फिल्मों की सूची में शामिल हो जाती है। एक नजर इस वर्ष अब तक प्रदर्शित हुई निराशाजनक और असफल फिल्मों पर..

बर्दाश्त नहीं 'बेशर्म'
इस वर्ष प्रदर्शित हुई निराशाजनक फिल्मों की सूची में ताजा प्रविष्टि है ' बेशर्म' की। लगातार तीन बेहतरीन फिल्मों की सफलता के बाद रणबीर कपूर से दर्शक कुछ ज्यादा ही उम्मीद कर रहे थें। यह उम्मीद और भी बढ़ गयी थी क्योंकि इस बार उन्हें 'दबंग' में सलमान खान को निर्देशित कर चुके अभिनव कश्यप का साथ मिला था। ऐसे में,जब धुंआधार प्रचार के बाद 'बेशर्म' प्रदर्शित हुई,तो उम्मीदों की पोटली लेकर दर्शक सिनेमाघरों तक पहुंचे। हालांकि, फिल्म देखने के बाद अधिकांश दर्शक निराश ही हुए। समीक्षकों ने भी 'बेशर्म' को आड़े हाथ लिया। ऋषि कपूर और नीतू कपूर संग रणबीर कपूर की मौजूदगी का आकर्षण भी फीका साबित हुआ।बेहतर कथानक के अभाव में फिल्म दर्शकों को बांध नहीं पायी। ट्रेड विशेषग्य तरण आदर्श के अनुसार,'रिलीज़ के पहले दिन अच्छी शुरुआत के बाद 'बेशर्म' का कलेक्शन गिरता ही गया।'बेशर्म' बॉक्स ऑफिस पर विफल रही है।'

रास नहीं आयी रीमेक
क्लासिक फिल्म ' जंजीर' की रीमेक का निर्देशन अपूर्व लाखिया के लिए जोखिम भरा साबित हुआ। अमिताभ बच्चन द्वारा अभिनीत भूमिका के साथ  रामचरण तेजा न्याय नहीं कर पाए,तो प्रियंका चोपड़ा का ग्लैमर भी काम नहीं आ पाया। परिणामतः काफी हो-हंगामे के साथ सिनेमाघरों में पहुंची 'जंजीर' दर्शकों को जकड़ नहीं पायी। 'जंजीर' की ही तरह एक और रीमेक 'हिम्मतवाला' का भी बॉक्स ऑफिस पर बुरा हस्र हुआ। साजिद खान के बड़बोले अंदाज ने फिल्म से दर्शकों की उम्मीदें बढ़ा दी थी। साथ ही,अजय देवगन की मौजूदगी भी फिल्म के आकर्षण का केंद्र थी। लेकिन जब दर्शक 'हिम्मतवाला' देखने सिनेमाघरों में पहुंचे तो उन्हें घोर निराशा हुई। कहा गया कि 'हिम्मतवाला' देखने के लिए बेहद हिम्मत चाहिए। 'हिम्मतवाला' की नाकामयाबी ने दर्शकों के जहन में 'राम गोपाल वर्मा की आग' की यादें ताज़ा कर दीं।

सफल नहीं हुई सीक्वल
'चेन्नई एक्सप्रेस' की रिलीज़ के एक सप्ताह बाद प्रदर्शित हुई 'वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा' ने दर्शकों को निराश किया। ' वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई' की सफलता के बाद जब एकता कपूर ने निर्देशक मिलन लुथरिया के साथ मिलकर उसके सीक्वल के निर्माण की योजना बनायी थी,तब उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उनका यह प्रयास विफल साबित होगा। अपराध की दुनिया के इर्द-गिर्द बुनी गयी ' वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा' की प्रेम कहानी दर्शकों को नहीं रास आयी। साथ ही,अजय देवगन की जगह अक्षय कुमार भी दर्शकों को नहीं लुभा पाए। एक और सीक्वल 'यमला पगला दीवाना 2'को भी दर्शकों ने सिरे से नकार दिया। हालांकि, प्रदर्शन से पूर्व 'यमला पगला दीवाना 2' से ढेर सारी अपेक्षाएं जुडी थीं। 'यमला पगला दीवाना' की तरह ही 'यमला पगला दीवाना 2' से भरपूर मनोरंजन की उम्मीदें की जा रही थीं। दीवाना ..पर धर्मेन्द्र,सनी देओल और बॉबी देओल अभिनीत 'यमला पगला  2' दर्शकों को संतुष्ट नहीं कर पायी और वर्ष की असफल फिल्मों में शुमार हो गयी। एक और सीक्वल है जो दर्शकों की उम्मीदों पर पूरी तरह खरी नहीं उतर पायी। बात हो रही है 'शूटआउट एट वडाला' की।' शूटआउट एट लोखंडवाला' की तर्ज पर बनायी गयी 'शूटआउट एट वडाला' जबरदस्त एक्शन दृश्यों और दो-दो  लोकप्रिय आइटम डांस के बाद भी दर्शकों को  नहीं कर पायी।

'घनचक्कर' नहीं बने दर्शक
दर्शकों को 'घनचक्कर' बनाने की राजकुमार गुप्ता की योजना असफल रही। विद्या बालन और इमरान हाश्मी की कॉमेडी दर्शकों का मनोरंजन नहीं कर पायी और 'घनचक्कर' असफल हो गयी। ' मटरू की बिजली का मंडोला ' जैसे अजीबोगरीब शीर्षक से विशाल भारद्वाज अपनी फिल्म के प्रति दर्शकों का उत्साह बढाने में तो कामयाब हुए,पर यह उत्साह अच्छे कथानक के अभाव में दर्शकों की संख्या नहीं बढ़ा पाया और वर्ष की पहली निराशा साबित हुई इमरान खान,अनुष्का शर्मा और पंकज कपूर अभिनीत 'मटरू की बिजली का मंडोला'।' औरंगजेब','आई मी और मैं','एक थी डायन' और 'नौटंकी साला' भी दर्शकों की उम्मीदों का बोझ नहीं संभाल पायी और असफल फिल्मों की सूची में शुमार हो गयी।

इन असफल फिल्मों की सूची से साबित होता है कि अब दर्शक फिल्मों के कथानक को लेकर जागरूक हो गए हैं। उन्हें मनोरंजन के नाम पर कुछ भी  स्वीकार्य नहीं है। उम्मीद है....इन असफल फिल्मों से प्रेरणा लेते हुए निर्माता-निर्देशक भविष्य में मनोरंजन और अच्छे कथानक के ताने-बाने में बुनी ऐसी फिल्में बनायेंगे जो दर्शकों की उम्मीदों को पानी-पानी नहीं करेंगी।
-सौम्या अपराजिता

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